प्रस्तावना - संसार (दुनिया ) की रचना जल, पृथ्वी, अग्नि, आकाश और वायु जैसे पांच तत्वों से हुई है।
जल का इनमे महत्वपूर्ण स्थान है। संसार के दैनिक जीवन में भी जल अति आवश्यक तत्व है।
जल का महत्व - पृथ्वी के जीव जंतुओं, पशु पक्षियों, फसलों, वनस्पतियों, पेड़ पौधों आदि सभी के लिए जल बहुत ही महत्वपूर्ण है।
बिना जल के इन सभी का रह पाना संभव नहीं है। जल से संसार में जीवन्तता दिखाई देती है। चारों ओर फैली हरियाली, फसलें, फल, फूल, सब्जियां, पेड़ पौधे आदि सभी जल के कारण ही जीवित हैं। मानव (इंसान) तो बिना जल के ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह सकता। अंत: सृष्टि में जल बहुत ही महत्वपूर्ण है। रहीम जी लिखते हैं-
"रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून।।"
जल के विभिन्न स्रोत - जल प्राप्त करने की कई स्रोत हैं। सागर में अथाह जल भरा है किंतु उसका जल खारा (नमकीन) है इसलिए वह हर प्रकार की पूर्ति नहीं कर सकता। पानी का मूल स्रोत भाषा है। वर्षा का पानी ही नदियों, तालाबों, जलाशयों में एकत्रित होकर जल की पूर्ति करता रहता है। इसके अतिरिक्त पहाड़ों पर जमने वाली बर्फ पिघलकर जल के रूप में नदियों में आती है। कुआँ, नलकूप आदि के द्वारा पृथ्वी के नीचे विद्यमान जल को प्राप्त किया जाता है। इस तरह विविध स्रोतों द्वारा जल की पूर्ति होती है।
जल का अभाव - विगत वर्षों में जल की निरंतर कमी हो रही है। वर्षा कम हो रही है, धरती का जल स्तर लगातार गिर रहा है। जल की समस्या भारत में ही नहीं बल्कि संसार भर में हो रही है। कुछ स्थानों पर तो जल के लिए त्राहि-त्राहि मची है। कुछ लोगों का मानना है कि संसार का तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए ही होगा।
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जल समस्या का समाधान - जल की कमी को देखते हुए यह आवश्यक है कि यह समस्या भयंकर रूप धारण करें उससे पहले ही हम जाग जायें। जल को व्यर्थ (फालतू) में नष्ट ना करें। जल का पूरी तरह सदुपयोग करें। बरसा के समय जो पानी नालों और नदियों के द्वारा बहकर समुद्र में पहुंच जाता है, उसे इकट्ठा करके उपयोग में लायें। वर्षा काल में पानी को पृथ्वी में नीचे पहुंचाया जाए तो जल स्तर ऊपर आएगा। इस (जल समस्या) समस्या के प्रति सजग रहना आज की अनिवार्यता है।
उपसंहार - यदि रहते समय जल संरक्षण की ओर ध्यान न दिया तो संसार का विनाश हो जाएगा। जल के बिना किसी का भी जीवित रहना संभव नहीं है। बिना जल के विनाश होना अवश्य है। सत्य है कि जल ही जीवन है। इसलिए जल की पूर्ति आवश्यक है। अतः अब समय आ गया है कि बिना और विलंब किए मानव मात्र को जल के अपव्यय को रोकने के साथ-साथ उसके संरक्षण हेतु प्रभावी उपाय करने चाहिए। तभी हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा। यह सलाह नहीं, चेतावनी है।
"पानी होगा मनुज को, जल संकट से त्राण।
यदि यह बढ़ता ही गया, होंगे दुर्लभ प्राण।।"
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