उनका पूरा नाम महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले था। फुलेजी की माता का नाम 'विमला बाई' तथा उनके पिता का नाम 'गोविंदराव फुले था।
वह(राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले) स्त्रियों की दशा सुधारने के पक्षधर थे। साथ ही दलितों के साथ होने वाले भेदभाव के घोर आलोचक थे।
महाराष्ट्र में सर्वप्रथम अछूतोद्धार और महिला शिक्षा का काम आरंभ करने वाले महान भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे। उनका परिवार फूलों की गजरे आदि बनाने का कार्य करता था इसलिए लोग उन्हें माली कहकर पुकारते थे।
ज्योतिबा फुले ने 21 साल की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। दरअसल उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई मराठी भाषा में ही की थी, लेकिन फिर लोगों द्वारा यह कहने पर की स्कूल जाने से बेटा बेकार हो जाएगा, पिता ने ज्योतिबा को स्कूल से निकाल दिया। बाद में फिर से पढ़ाई की अहमियत समझ में आने पर उन्होंने (ज्योतिबा फुले के पिता) ज्योतिबा को पढ़ाना शुरू किया।
वर्ष 1840 में उन्होंने सावित्रीबाई के साथ विवाह किया। ज्योतिबा फुले स्त्री और पुरुष दोनों को समान मानते थे। इसलिए उन्होंने स्त्रियों की दशा सुधारने और समाज में उन्हें पहचान दिलाने के लिए 1854ई. में एक स्कूल खोला। यह देश का पहला ऐसा स्कूल था जिसे लड़कियों/बालिकाओं (स्त्रियों) के लिए खोला गया था।
लड़कियों/बालिकाओं को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री बाई को इसके (अध्यापिका) योग्य बना दिया।
उच्च वर्ग के लोगों ने आरंभ से ही उनके काम में बाधा डालने की चेष्टा की, किंतु ज्योतिबा फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर (उच्च वर्ग के लोगों ने)दबदबा डालकर पति पत्नी (ज्योतिबा-सावित्रीबाई) को घर से निकलवा दिया, इससे कुछ समय के लिए उनका काम अवश्य रुका पर शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के लिए तीन स्कूल खोल दिए।
महिला शिक्षा और दलितों के पक्ष में बोलने के कारण उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया था तो वहीं ज्योतिबा फुले दलितों के साथ भेदभाव के घोर विरोधी थे। उन्होंने उनके लिए पानी की टंकी भी खोल दी थी। नतीजतन (इसके बाद) उन्हें जाति से भी बहिष्कृत कर दिया गया।
समाज के निम्न तबको, पिछड़ों और दलितों को न्याय दिलाने के उद्देश्य ज्योतिबा फुले ने 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की। सत्यशोधक समाज के संघर्ष की बदौलत ही सरकार नेे एग्रीमेंट एक्ट पास किया।
उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन किया तथा बाल विवाह का जमकर विरोध किया उन्होंने बिना ब्राह्मण शादी को(बाॅम्बे) मुंबई हाई कोर्ट से मान्यता दिलवाई।
वर्ष 1853ई.में पति -पत्नी(फुले -सावित्रीबाई) ने अपने मकान में प्रौढो़ के लिए रात्रि पाठशाला खोली।
इन सब कामों से उनकी ख्याति (समाज में अच्छे कामों के लिए प्रसिद्धि ) देखकर प्रतिक्रियावादी ने एक बार दो हत्यारों को उन्हें मारने के लिए तैयार किया था, पर वे दोनों ज्योतिबा फुले की समाज सेवा देखकर उनके शिष्य बन गए।
वर्ष 1873 ई.में ज्योतिबा फुले की किताब 'गुलामगिरी' प्रकाशित हुई।
यह पुस्तक/किताब आज भी बहुजन लोगों/ आंदोलन की प्रमुख किताबों में से एक है।
माना जाता है कि इस पुस्तक में बताए गए विचारों के आधार पर भारत में कई आंदोलन चले। 'गुलामगिरी' के अलावा ज्योतिबा फुले ने
'तृतीय रत्न', 'छत्रपति शिवाजी', 'राजा भोंसले का पखडा', 'किसान का कोड़ा', 'अछूतों की कैफियत' जैसी अनेक पुस्तकें लिखी।
विधवा महिलाओं के कल्याण के लिए ज्योतिबा फुले ने पत्नी सावित्रीबाई के साथ मिलकर काफी अच्छा काम किया।
उस दौर में गर्भवती विधवा स्त्रियों के सामने जान दे देने के अलावा और कोई उपाय नहीं था। ज्योतिबा फुले ने उनके लिए अलग से रहने की व्यवस्था की।
उन्होंने एक गर्भवती विधवा ब्राह्मण स्त्री के गर्भ से जन्मे बच्चे यशवंत को गोद लिया और उसे पढ़ा- लिखाकर डॉक्टर बनाया बाद में फुले दंपत्ति ने यशवंत को अपना उत्तराधिकारी भी बनाया।
लॉर्ड लिटन पर खर्च के प्रस्ताव का विरोध करने वाले पूना/पुणे नगरपालिका के वे(राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले) अकेले सदस्य थे।
उनकी समाज सेवा से प्रभावित होकर 1888 ई.में बंम्बई/मुंबई में एक सभा में उन्हें 'महात्मा'की उपाधि दी गई।
28 नवंबर, 1890 ई.पूना में राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले ने अपने जीवन की आखिरी सांस ली। राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले को भारतीय संविधान रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अपना गुरु मानते थे।
आधुनिक भारत महात्मा/राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले जैसे महान विचारक, समाज सुधारक का आभारी है।
🙏 "जय भीम जय संविधान"
🙏 नमो बुद्धाय
🙏नमन राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले जी
🙏 भारत की पहली महिला शिक्षिका मां सावित्री बाई।
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Written by 📙✍️ sanghpriya Gautam
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