बौद्ध धर्म के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी। Buddhism, tripitaka, Buddhist scriptures, four noble truths, octagonal route, Buddhist councils etc information.

            गौतम बुद्ध का जीवन परिचय

• बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध ने की।

• गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के समीप लुम्बिनी ग्राम में शाक्य कुल में हुआ था।

• इनके पिता का नाम शुद्धोधन तथा माता का नाम महामाया था। इनके जन्म के सातवें दिन ही इनकी माता महामाया की मृत्यु हो गई थी, अतः इनका पालन-पोषण उनकी मौसी और शुद्धोधन की दूसरी रानी महाप्रजावती (गौतमी) ने किया था।

• 16 वर्ष की आयु में इनका विवाह राजकुमारी यशोधरा से हुआ था।

• 28 वर्ष की आयु में इनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ।

• 29 वर्ष की आयु में इन्होंने सत्य की खोज के लिए गृह त्याग कर दिया। इस घटना को महाभिनिक्रमण कहा जाता है।

• 35 वर्ष की आयु में गया (बिहार) में उरुवेला नामक स्थान पर पीपल वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा की रात्रि में समाधिस्थ अवस्था में इनको ज्ञान प्राप्त हुआ। इस घटना को संबोधि कहा जाता है।

• गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश (प्रवचन) सारनाथ में दिया। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है।

• शुद्धोधन की दूसरी रानी महाप्रजावती (गौतमी) बौद्ध धर्म में दीक्षित होने वाली प्रथम महिला थी।

• 483 ई.पू. में 80 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध का देहांत कुशीनगर में हुआ। इसे महापरिनिर्वाण कहा जाता है।

                        चार आर्य सत्य

• गौतम बुद्ध के अनुसार जीवन में दुःख ही दुःख है, अतः क्षणिक सुखों की सुख मानना अदूरदर्शिता है।

• गौतम बुद्ध के अनुसार दुःख का कारण तृष्णा है। इन्द्रियों को जो वस्तुएँ प्रिय लगती हैं उनको प्राप्त करने की इच्छा ही तृष्णा है और तृष्णा का कारण अज्ञान है।

• गौतम बुद्ध के अनुसार दुःखों से मुक्त होने के लिए उसके कारण का निवारण आवश्यक है। अतः तृष्णा पर विजय प्राप्त करने से दुःखों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।

• महात्मा बुद्ध के अनुसार दुःखों से मुक्त होने अथवा निर्वाण प्राप्त करने के लिए जो मार्ग है, उसे अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है।

                    अष्टांगिक मार्ग

• सम्यक् दृष्टि : सत्य और असत्य को पहचानने की शक्ति
• सम्यक् संकल्प : इच्छा एवं हिंसा रहित संकल्प
• सम्यक् वाणी : सत्य एवं मृदु वाणी
• सम्यक् कर्म : सत्कर्म, दान, दया, सदाचार, अहिंसा आदि
• सम्यक् आजीव : जीवन यापन का सदाचारपूर्ण एवं उचित मार्ग
• सम्यक् व्यायाम : विवेकपूर्ण प्रयत्न
• सम्यक् स्मृति : अपने कर्मों के प्रति विवेकपूर्ण ढंग से सहज रहना
• सम्यक् समाधि : चित्त की एकाग्रता

              ☸️   बौद्ध धर्मग्रंथ  ☸️

• आरम्भिक बौद्ध ग्रंथ पालि भाषा में लिखे गये थे।

• अंगुत्तर निकाय में छठीं शताब्दी ई.पू. के सोलह महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।

• ‘खुद्दक निकाय' में जातक कथाओं का वर्णन किया गया है, जो बुद्ध के पूर्व जीवन से सम्बद्ध है।

• बौद्ध ग्रंथों में 'त्रिपिटक' सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं।

                         त्रिपिटक

विनय पिटक : इसमें संघ संबंधी नियमों, दैनिक आचार विचार व विधि निषेधों का संग्रह है।

सुत्त पिटक : इसमें बौद्ध धर्म के सिद्धांत व उपदेशों का संग्रह है।

अभिधम्म पिटक : यह पिटक प्रश्नोत्तर क्रम में है और इसमें दार्शनिक सिद्धांतों का संग्रह है।

• पालि भाषा में अनेक महाकाव्यों की रचना हुई, जिनमें 'दीपवंश और महावंश' प्रमुख है। इनमें श्रीलंका का उल्लेख मिलता है।

गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाएँ/घटित स्थान

गृह-त्याग की घटना महाभिनिष्क्रमण — लुम्बनी

ज्ञान प्राप्ति की घटना सम्बोधि — सारनाथ (उ.प्र.)

प्रथम उपदेश देने की घटना धर्मचक्रप्रवर्तन — सारनाथ (उ.प्र.) 

देहान्त महापरिनिर्वाण — कुशीनगर (उ.प्र.)          

        गौतम बुद्ध के अन्य उपदेशों का सार

• गौतम बुद्ध ने अपने उपदेशों में कर्म के सिद्धांत पर बहुत बल दिया है। वर्तमान के निर्णय भूतकाल के कार्य करते हैं।

• गौतम बुद्ध ने अप्प दीपो भव ‘अपना दीपक स्वयं बनो' 

• गौतम बुद्ध ने बताया कि निर्वाण की प्राप्ति प्रत्येक मनुष्य के जीवन का अंतिम लक्ष्य है। इससे उनका तात्पर्य यह था कि व्यक्ति को इच्छा, भोग-विलास का परित्याग कर देना चाहिए।

• संसार में ईश्वर कहीं नहीं है उसको ढूंढने में धन एवं समय व्यर्थ ना करें!

• गौतम बुद्ध समाज में ऊँच-नीच के खिलाफ थे। संघ में प्रवेश करने की प्रक्रिया उपसंपदा कहलाती है और बौद्ध धर्म के मानने वालों को भिक्षुक कहा जाता है।

• देवदत्त ने बुद्ध को तीन बार मारने का प्रयास किया था।

                     बौद्ध संगीतियाँ

प्रथम संगीत: कालक्रम 483 ई.पू., आयोजन स्थल सप्तपर्णी गुफा (राजगृह), अध्यक्ष- महाकश्यप, शासक अजात शत्रु, प्रमुख कार्य- बौद्ध की शिक्षाओं को विनयपिटक एवं धम्मपिटक के रूप में उपाली एवं आनंद ने संकलित किया।

द्वितीय संगीत: कालक्रम 383 ई.पू., आयोजन स्थल वैशाली, अध्यक्ष सबाकमीर, शासक कालाशोक

तृतीय संगीतः कालक्रम 255 ई.पू., आयोजन स्थल पाटलीपुत्र अध्यक्ष मोगलीय पुत्र तिस्य, शासक अशोक, प्रमुख कार्य अभिधम्मपिटक का संकलन किया गया।

चतुर्थ संगीत: कालक्रम प्रथम शताब्दी, आयोजन स्थल कश्मीर, अध्यक्ष वसुमित्र, उपाध्यक्ष अश्वघोष, शासक कनिष्क, प्रमुख कार्य त्रिपिटकों पर महाभाषियों की रचना की गई।

         Information about Buddhism
    in English language (Google Translate)

biography of gautam buddha

• Buddhism was founded by Gautam Buddha.

• Gautam Buddha was born in 563 BC. He was born in the Shakya clan in Lumbini village near Kapilvastu in the Terai of Nepal.

• His father's name was Shuddhodhana and mother's name was Mahamaya. His mother Mahamaya died on the seventh day of his birth, so he was brought up by his aunt and Suddhodhana's second queen Mahaprajavati (Gautami).

• At the age of 16, he was married to Princess Yashodhara.

• At the age of 28, their son Rahul was born.

• At the age of 29, he left home in search of truth. This phenomenon is called a supernatant.

• At the age of 35, at a place called Uruvela in Gaya (Bihar), he attained knowledge in a state of samadhi under a Peepal tree on the night of Vaishakh Purnima. This phenomenon is called enlightenment.

• Gautam Buddha gave his first sermon (discourse) in Sarnath. This is known as turning the wheel of Dharma.

• Suddhodana's second queen Mahaprajavati (Gautami) was the first woman to be initiated into Buddhism.

• 483 BC At the age of 80, Mahatma Buddha died in Kushinagar. This is called Mahaparinirvana.

                        four noble truths

• According to Gautam Buddha, sorrow is the only sorrow in life, therefore it is short-sighted to consider the happiness of momentary pleasures.

• According to Gautam Buddha, the cause of sorrow is craving. Desire is the desire to obtain the things which are pleasing to the senses, and the cause of craving is ignorance.

• According to Gautam Buddha, to be free from sorrows, it is necessary to remove its cause. Therefore, by conquering craving, one can get freedom from sorrows.

• According to Mahatma Buddha, the path which is to be free from sorrows or to attain nirvana, is called the eightfold path.

                    octagonal route

• Samyak Drishti: The power to recognize truth and untruth
• Samyak Sankalpa: Will and Violence Free Resolution
• Samyak Vani : Truth and Soft Speech
• Right Karma: Good deeds, charity, kindness, virtue, non-violence etc.
• Right Livelihood: A virtuous and proper way of living
• Right Exercise: Prudent Effort
• Samyak Smriti: Being judiciously comfortable with one's actions
• Samyak Samadhi: Concentration of the mind

              ☸️ Buddhist scriptures ☸️

• The early Buddhist texts were written in the Pali language.

• Anguttar Nikaya in the 6th century BC. There is mention of sixteen Mahajanapadas.

• 'Khuddak Nikaya' narrates the Jataka tales, which are related to the earlier life of Buddha.

• Tripitaka is the most important of the Buddhist texts.

                      ☸️  tripitaka ☸️

• Vinay Pitaka: It contains a collection of federal rules, daily ethics and legal prohibitions.

• Sutta Pitaka: It contains a collection of principles and teachings of Buddhism.

• Abhidhamma Pitaka: This Pitaka is in question and answer sequence and contains a collection of philosophical principles.

• Many epics were composed in Pali language, in which 'Deepavansh and Mahavansh' are prominent. Sri Lanka is mentioned in these.

Major events/happenings of Gautam Buddha's life

The incident of home-abandonment - Lumbani

The event of knowledge attainment - Sarnath (U.P.)

The event of giving the first sermon Dharmachakrapravartan - Sarnath (U.P.)

Death Mahaparinirvana - Kushinagar (U.P.)

        Summary of other teachings of Gautam Buddha

• Gautam Buddha has laid great emphasis on the principle of karma in his teachings. Present decisions are actions of the past.

• Gautam Buddha Appa Deepo Bhava 'Be your own lamp'

• Gautam Buddha told that the attainment of Nirvana is the ultimate goal of every human being's life. By this he meant that one should give up desire, indulgence and luxury.

• There is no God anywhere in the world, don't waste your money and time in searching for him!

• Gautam Buddha was against the high and low in the society. The process of entering the sangha is called upasampada and the followers of Buddhism are called bhikkhus.

• Devadatta tried to kill Buddha three times.

                     Buddhist Music

First Music: Chronology 483 BC, Saptaparni Cave (Rajgriha), President- Mahakashyapa, Ruler Ajat Shatru, Major work- Upali and Anand compiled the teachings of Buddhism in the form of Vinayapitaka and Dhammapitaka.

Second Music: Chronology 383 BC, Venue Vaishali, President Sabakmir, Ruler Kalashok

Third Music: Chronology 255 BC, venue of the event Pataliputra President Mogliya son Tisya, ruler Ashoka, the main work Abhidhammapitaka was compiled.

Fourth Music: Chronology of the first century, the venue of Kashmir, President Vasumitra, Vice President Ashvaghosha, ruler Kanishka, the main works were composed of Mahabhashis on Tripitakas.


ਪੰਜਾਬੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ               (Google Translate)

ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਦੀ ਜੀਵਨੀ

• ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ।

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਦਾ ਜਨਮ 563 ਈ.ਪੂ. ਉਸਦਾ ਜਨਮ ਨੇਪਾਲ ਦੇ ਤਰਾਈ ਵਿੱਚ ਕਪਿਲਵਸਤੂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲੁੰਬੀਨੀ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਕਯ ਕਬੀਲੇ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ਸੀ।

• ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦਾ ਨਾਮ ਸ਼ੁੱਧੋਧਨ ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਦਾ ਨਾਮ ਮਹਾਮਾਯਾ ਸੀ। ਉਸਦੇ ਜਨਮ ਦੇ ਸੱਤਵੇਂ ਦਿਨ ਉਸਦੀ ਮਾਂ ਮਹਾਮਾਇਆ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ਸੀ, ਇਸਲਈ ਉਸਨੂੰ ਉਸਦੀ ਮਾਸੀ ਅਤੇ ਸੁਧੋਧਨ ਦੀ ਦੂਜੀ ਰਾਣੀ ਮਹਾਪ੍ਰਜਾਵਤੀ (ਗੌਤਮੀ) ਦੁਆਰਾ ਪਾਲਿਆ ਗਿਆ ਸੀ।

• 16 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ, ਉਸਦਾ ਵਿਆਹ ਰਾਜਕੁਮਾਰੀ ਯਸ਼ੋਧਰਾ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ।

• 28 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਰਾਹੁਲ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ।

• 29 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ, ਉਸਨੇ ਸੱਚ ਦੀ ਖੋਜ ਵਿੱਚ ਘਰ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਵਰਤਾਰੇ ਨੂੰ ਸੁਪਰਨੇਟੈਂਟ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

• 35 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਗਯਾ (ਬਿਹਾਰ) ਵਿਚ ਉਰੂਵੇਲਾ ਨਾਮਕ ਸਥਾਨ 'ਤੇ ਵੈਸਾਖ ਪੂਰਨਿਮਾ ਦੀ ਰਾਤ ਨੂੰ ਇਕ ਪੀਪਲ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਹੇਠਾਂ ਸਮਾਧੀ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਗਿਆਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ। ਇਸ ਵਰਤਾਰੇ ਨੂੰ ਗਿਆਨ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਨੇ ਆਪਣਾ ਪਹਿਲਾ ਉਪਦੇਸ਼ (ਪ੍ਰਵਚਨ) ਸਾਰਨਾਥ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤਾ ਸੀ। ਇਸ ਨੂੰ ਧਰਮ ਦਾ ਪਹੀਆ ਮੋੜਨਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

• ਸੁਧੋਦਨ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਰਾਣੀ ਮਹਾਪ੍ਰਜਾਵਤੀ (ਗੌਤਮੀ) ਪਹਿਲੀ ਔਰਤ ਸੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਲਿਆਇਆ ਗਿਆ ਸੀ।

• 483 ਈ.ਪੂ 80 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਵਿੱਚ ਮਹਾਤਮਾ ਬੁੱਧ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ। ਇਸ ਨੂੰ ਮਹਾਪਰਿਨਿਰਵਾਣ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

                        ਚਾਰ ਮਹਾਨ ਸੱਚਾਈਆਂ

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਅਨੁਸਾਰ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਦੁੱਖ ਹੀ ਦੁੱਖ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਪਲ-ਪਲ ਦੇ ਸੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸੁਖ ਸਮਝਣਾ ਥੋੜ੍ਹ-ਚਿਰਾ ਹੈ |

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਅਨੁਸਾਰ ਦੁੱਖ ਦਾ ਕਾਰਨ ਲਾਲਸਾ ਹੈ। ਇੱਛਾ ਇੰਦਰੀਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਸੰਨ ਕਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਇੱਛਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਲਾਲਸਾ ਦਾ ਕਾਰਨ ਅਗਿਆਨਤਾ ਹੈ।

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਅਨੁਸਾਰ ਦੁੱਖਾਂ ਤੋਂ ਮੁਕਤ ਹੋਣ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਕਾਰਨ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ | ਇਸ ਲਈ, ਲਾਲਸਾ ਨੂੰ ਜਿੱਤ ਕੇ, ਮਨੁੱਖ ਦੁੱਖਾਂ ਤੋਂ ਮੁਕਤੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ।

• ਮਹਾਤਮਾ ਬੁੱਧ ਅਨੁਸਾਰ ਜੋ ਮਾਰਗ ਦੁੱਖਾਂ ਤੋਂ ਮੁਕਤ ਹੋਣ ਜਾਂ ਨਿਰਵਾਣ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਹੋਵੇ, ਉਸ ਮਾਰਗ ਨੂੰ ਅੱਠਪੱਧਰੀ ਮਾਰਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

                    ਅੱਠਭੁਜ ਰਸਤਾ

• ਸਮਯਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ: ਸੱਚ ਅਤੇ ਅਸਤ ਨੂੰ ਪਛਾਣਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ
• ਸਮਯਕ ਸੰਕਲਪ: ਇੱਛਾ ਅਤੇ ਹਿੰਸਾ ਮੁਕਤ ਸੰਕਲਪ
• ਸਮਯਕ ਵਾਣੀ: ਸੱਚ ਅਤੇ ਨਰਮ ਭਾਸ਼ਣ
• ਸਹੀ ਕਰਮ: ਚੰਗੇ ਕੰਮ, ਦਾਨ, ਦਿਆਲਤਾ, ਨੇਕੀ, ਅਹਿੰਸਾ ਆਦਿ।
• ਸਹੀ ਰੋਜ਼ੀ-ਰੋਟੀ: ਜੀਵਣ ਦਾ ਇੱਕ ਨੇਕ ਅਤੇ ਸਹੀ ਤਰੀਕਾ
• ਸਹੀ ਅਭਿਆਸ: ਵਿਵੇਕਸ਼ੀਲ ਕੋਸ਼ਿਸ਼
• ਸਮਯਕ ਸਮ੍ਰਿਤੀ: ਕਿਸੇ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਨਾਲ ਸਮਝਦਾਰੀ ਨਾਲ ਆਰਾਮਦਾਇਕ ਹੋਣਾ
• ਸਮਯਕ ਸਮਾਧੀ: ਮਨ ਦੀ ਇਕਾਗਰਤਾ

                     ਬੋਧੀ ਗ੍ਰੰਥ

• ਮੁਢਲੇ ਬੋਧੀ ਗ੍ਰੰਥ ਪਾਲੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਗਏ ਸਨ।

• 6ਵੀਂ ਸਦੀ ਈਸਾ ਪੂਰਵ ਵਿੱਚ ਅੰਗੂਤਰ ਨਿਕਾਇਆ। ਸੋਲ੍ਹਾਂ ਮਹਾਜਨਪਦਾਂ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਹੈ।

• 'ਖੁਦਕ ਨਿਕਾਇਆ' ਜਾਤਕ ਕਹਾਣੀਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਬੁੱਧ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਹਨ।

• ਤ੍ਰਿਪਿਟਕ ਬੋਧੀ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ।

                         ਤ੍ਰਿਪਿਟਕ

• ਵਿਨੈ ਪਿਟਕ: ਇਸ ਵਿੱਚ ਸੰਘੀ ਨਿਯਮਾਂ, ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਨੈਤਿਕਤਾ ਅਤੇ ਕਾਨੂੰਨੀ ਪਾਬੰਦੀਆਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ।

• ਸੂਤ ਪਿਟਕ: ਇਸ ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ।

• ਅਭਿਧੰਮਾ ਪਿਟਕ: ਇਹ ਪਿਟਕ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਕ੍ਰਮ ਵਿੱਚ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚ ਦਾਰਸ਼ਨਿਕ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ।

• ਪਾਲੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਕਈ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਰਚੇ ਗਏ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ‘ਦੀਪਵੰਸ਼ ਅਤੇ ਮਹਾਵੰਸ਼’ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ 'ਚ ਸ਼੍ਰੀਲੰਕਾ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਹੈ।

ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਨਾਵਾਂ/ਘਟਨਾਵਾਂ

ਘਰ ਛੱਡਣ ਦੀ ਘਟਨਾ - ਲੁੰਬਣੀ

ਗਿਆਨ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੀ ਘਟਨਾ - ਸਾਰਨਾਥ (ਯੂ.ਪੀ.)

ਪਹਿਲਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਧਰਮਚਕ੍ਰਪ੍ਰਵਰਤਨ ਦੇਣ ਦੀ ਘਟਨਾ - ਸਾਰਨਾਥ (ਯੂ.ਪੀ.)

ਮੌਤ ਮਹਾਪਰਿਨਿਰਵਾਣ - ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ (ਯੂ.ਪੀ.)

        ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸਾਰ

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਕਰਮ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਜ਼ੋਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਮੌਜੂਦਾ ਫੈਸਲੇ ਅਤੀਤ ਦੀਆਂ ਕਾਰਵਾਈਆਂ ਹਨ।

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਅੱਪਾ ਦੀਪੋ ਭਾਵ 'ਆਪਣਾ ਦੀਵਾ ਬਣੋ'

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਨਿਰਵਾਣ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਹਰ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਅੰਤਮ ਟੀਚਾ ਹੈ | ਇਸ ਤੋਂ ਉਸ ਦਾ ਭਾਵ ਸੀ ਕਿ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਇੱਛਾ, ਭੋਗ ਅਤੇ ਐਸ਼ੋ-ਆਰਾਮ ਛੱਡ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

• ਦੁਨੀਆਂ ਵਿੱਚ ਕਿਤੇ ਵੀ ਰੱਬ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਲੱਭਣ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਪੈਸਾ ਅਤੇ ਸਮਾਂ ਬਰਬਾਦ ਨਾ ਕਰੋ!

• ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਊਚ-ਨੀਚ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਸੀ। ਸੰਘ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਉਪਸੰਪਦ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਭਿਖੂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

• ਦੇਵਦੱਤ ਨੇ ਤਿੰਨ ਵਾਰ ਬੁੱਧ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ।

                     ਬੋਧੀ ਸੰਗੀਤ

ਪਹਿਲਾ ਸੰਗੀਤ: ਕਾਲਕ੍ਰਮ 483 ਬੀ ਸੀ, ਸਪਤਪਰਨੀ ਗੁਫਾ (ਰਾਜਗ੍ਰਹਿ), ਪ੍ਰਧਾਨ- ਮਹਾਕਸ਼ਯਪ, ਸ਼ਾਸਕ ਅਜਾਤ ਸ਼ਤਰੂ, ਮੁੱਖ ਕੰਮ- ਉਪਲੀ ਅਤੇ ਆਨੰਦ ਨੇ ਵਿਨਯਪਿਟਕ ਅਤੇ ਧੰਮਪਿਤਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੀਆਂ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕੀਤਾ।

ਦੂਜਾ ਸੰਗੀਤ: ਕਾਲਕ੍ਰਮ 383 ਬੀ ਸੀ, ਸਥਾਨ ਵੈਸ਼ਾਲੀ, ਪ੍ਰਧਾਨ ਸਬਕਮੀਰ, ਸ਼ਾਸਕ ਕਾਲਸ਼ੋਕ

ਤੀਜਾ ਸੰਗੀਤ: ਕਾਲਕ੍ਰਮ 255 ਬੀ ਸੀ, ਘਟਨਾ ਸਥਾਨ ਪਾਟਲੀਪੁੱਤਰ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੋਗਲੀਆ ਪੁੱਤਰ ਤਿਸਿਆ, ਸ਼ਾਸਕ ਅਸ਼ੋਕ, ਮੁੱਖ ਕੰਮ ਅਭਿਧੰਮਾਪਿਟਕ ਸੰਕਲਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ।

ਚੌਥਾ ਸੰਗੀਤ: ਪਹਿਲੀ ਸਦੀ ਦਾ ਕਾਲਕ੍ਰਮ, ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਸਥਾਨ, ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਵਸੁਮਿਤਰਾ, ਉਪ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਅਸ਼ਵਘੋਸ਼, ਸ਼ਾਸਕ ਕਨਿਸ਼ਕ, ਮੁੱਖ ਰਚਨਾਵਾਂ ਤ੍ਰਿਪਿਟਕਾਂ ਉੱਤੇ ਮਹਾਂਭਾਸ਼ੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਰਚੇ ਗਏ ਸਨ।
 
    ☸️ गौतम बुद्ध सुविचार (अनमोल विचार) ☸️

• अप्प दीपो भव अर्थात् अपना प्रकाश स्वयं बनो!

• दुनिया में ईश्वर कहीं नहीं है उसे ढूंढने में धन एवं समय व्यर्थ ना करें!

इसे एक बार जरूर देखें और पढ़ें नीले रंग के अक्षरों पर क्लिक करके बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के अनमोल विचार/वचन। Dr. Bhimrao Ambedkar Quotes in Hindi.

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