बौद्ध धर्म (धम्म) में अंतिम संस्कार (दाह संस्कार) कैसे करते हैं ? Buddhism : Antyesti / Last sacrifice

बौद्ध धर्म (धम्म) में मृत्यु / अंतिम संस्कार कैसे करते हैं? ध्यान से अंत तक जरूर पढ़ें धन्यवाद 🙏
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बुद्ध धम्म/ धर्म तर्क विज्ञान पर आधारित है इसलिए समय और परिस्थितियों के अनुसार कार्य करते हैं रुढ़िवादी में बंधे नहीं होते हैं। फिर भी हम मौजूदा समय में निम्नलिखित प्रकार से अंतिम संस्कार (दाह संस्कार) करते हैं।
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शव यात्रा
मृतक को नहलाकर अगर मृतक /मृत्तिका बुद्धिस्ट था/थीं तो पंचशील की चादर सबसे उपर से ढंकते हैं और अगर बुद्धिस्ट नहीं था /थी तो नीला चादर या सफेद चादर से ढकते है।
शव यात्रा के लिए पंचशील ध्वज लेकर कुछ लोग आगे और कुछ पीछे चलते हैं और निम्नलिखित उच्चारण करते हैं।
👉जीवन मरण सत्य है
👉 बुद्ध नाम सत्य है
👉 भीम नाम सत्य है
👉 बुद्धं शरणं गच्छामी
👉 धम्मं शरणं गच्छामी
👉 संघं शरणं गच्छामी
इन्ही शब्दों का प्रयोग करते हैं राम नाम सत्य है का प्रयोग वर्जित है।
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‼️बुद्ध धम्म में मृतक को जलाते /दफनाते /जलप्रवाह कैसे करते हैं??‼️

👉 यहां भी समय और परिस्थितियों पर आधारित है
▶️दफनाना - सबसे उचित है कि शव को मिट्टी में दफना दिया जाये जिससे कि सबसे कम खर्च और प्रदूषण रहित उचित प्राकृतिक प्रकिया है।
▶️जलाना -जहां पर दफनाने या मिट्टी में दबाने के लिए जगह नहीं है तो जला सकते हैं।
▶️जल प्रवाह - जलप्रवाह ज्यादातर नदी किनारे रहने वाले लोग करते हैं जिसमें शव को भारी पत्थरों आदि से वजनी बनाकर गहरे जल में प्रवाहित कर देते हैं।

( ☸️ बौद्ध धम्म/धर्म में अंतिम संस्कार में मृतक के पार्थिव देह/शरीर को खुल्ले मे छोड़ दिया जाता है जिससे जरूरतमंद पशु-पक्षियों को खुराक मिल जाए । यह जीवदया की भावना से प्रेरित है, क्योंकि बौद्ध धम्म/धर्म हंमेशा से ही दयाभावना से प्रेरित रहा है और इस प्रकार के अंतिम संस्कार में मृतक के पार्थिव देह का भी इस तरह से उपयोग होता है की कोई भी पशु पक्षि जो भूख से तड़प रहा हो उसकी क्षुधा/भूख शांत हो जाए।

क्या यह उचित या सही है 🤔 कमेंट करके बताएं )
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🌱👉संस्कार कैसे करें?🌱
शव का संस्कार बौद्ध भिक्षुओं या बौद्धाचार्य द्वारा ही करायें या खुद करें ब्राह्मणों द्वारा न करायें।
संस्कार में निम्नलिखित सुत का पाठ करते हैं।
त्रिशरण, पंचशील ,पत्ति दान और सब्ब सुखगाथा का पाठ करके समापन करते हैं और वापस घर चले आते हैं।
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🔁शान्ति पाठ /परित्राण पाठ🔁
शान्ति पाठ दो तीन या चार दिन में ही करवा लेना चाहिए जैसे कि आप व्यवस्था कर सकते है।
मृत्यु भोज नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे मृतक के परिजनों को और कष्ट पड़ता है जो कि अंधविश्वास पाखंड हैं और मृत्यु भोज खाने वाले दोषी होते हैं।
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🔀शान्ति पाठ क्यों कराते हैं??🔀
कुछ लोग कहते हैं मृतक की आत्मा को शान्ति मिलती है जो कि बिल्कुल गलत है मृतक तो शान्त ही हो गया है शांति परिजनों को चाहिए जो लोग शोकाकुल होते हैं दुखी होते हैं। इसलिए जल्दी ही शांति पाठ कराने से लोगों के दिलो दिमाग से दुख निकलेगा और सभी का ध्यान मृतक से हटकर दूसरे कार्य और जिम्मेदारियों की ओर हो जायेगा।
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🔆पुण्यानुमोदन🔆
करते समय निम्नलिखित सुत का पाठ करते हैं
त्रिशरण, पंचशील, भीस्मरण, भीमसतूति, संकल्प, प्रतिदान, परित्राण पाठ, पुण्यानुमोदन, सब्बसुख गाथा, आशीर्वाद, सरणंतयं।
इस प्रकार से परिजनों को तथागत गौतमबुद्ध के जीवन संबंधी कहानियों को सुनाकर लोगों के दुखो को दूर करने की कोशिश करते हैं। और मृतक के जीवनकाल के बारे अच्छी बातों को लोगों को बताते हैं रिस्तेदारो और परिजनों द्वारा मृतक के बारे में बोलने के लिए प्रेरित करते हैं और सभी लोग मृतक द्वारा किये गये अच्छे कार्य की प्रसंसा करते हैं।
उपस्थित लोगों को ही आप जलपान या भोजन करायें।
भोजन में मिठाईयों और डांस गान का प्रयोग गलत होगा।
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