२. अर्द्धविराम(;)- अर्द्धविराम के चिह्न (;) को पूर्णविराम से कुछ कम और अल्पविराम से कुछ अधिक देर के लिए प्रयोग में लाया जाता है। अर्द्धविराम युक्त वाक्य में वाक्यांश स्वतंत्र होते हुए भी एक ही वाक्य से दूसरे को जोड़े रखते है।उदाहरण- वह साँस नहीं लेना चाहता; साँस खोना चाहता है। आज के समय में अर्द्धविराम का उपयोग उपाधियों और डिग्रियों के बीच में देखने को मिलता हैं। जैसे- एम.ए.; बी.ए.; आई.टी.आई; एल.एल.बी.।
३) पूर्णविराम(।)- यह वाक्य को पूर्णता का बोधक माना जाता है।इसे एक खड़ी लकीर या डंडा(।) के रूप में दर्शाया जाता है। पूर्णविराम संस्कृत से हिन्दी, मराठी, गुजराती, उड़िया, बंगाली, आदि भाषाओं में यथावत प्रयुक्त होता है। जैसे- वह खिलाड़ी है। वह मेरे पिता है।
४) योजन या योजक(-) - जब दो या दो से अधिक शब्द समाप्त हों और उन्हें अलग- अलग लिखना है तब दोनों शब्दों के बीच योजक (-) चिह्न जा प्रयोग किया जाता है। योजक का अर्थात जोड़ने वाला। इसके प्रयोग से पूर्व एवं परवर्ती शब्द का सम्बंध स्पष्ट हो जाता है। जैसे- माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त-यार, प्यार-मोहब्बत,रात-दिन,आज-कल आदि।
५) प्रश्नवाचक(?) - किसी भी प्रश्नात्मक या जिज्ञासात्मक वाक्य के अंत में पूर्णविराम के स्थान पर प्रश्नवाचक(?) चिह्न का प्रयोग किया जाता है।सन्देहास्पद स्थिति व्यक्त करने वाले वाक्य भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा व्यंग्योक्ति के लिए भी इसका(?) प्रयोग किया जाता है। उदाहरण- क्या आप संविधान पढ़ने जा रहे हो? क्या डॉ. भीमराव आम्बेडकर को विदेशों में भी सम्मान प्राप्त है। अच्छा, तो आप ही नेल्सन मंडेला जी है?
६) विस्मयादिबोधक(!) - यह चिह्न (!) का प्रयोग विस्मयसूचक शब्दों के आंगे लगाया जाता है। ऐसे वाक्य, जिनमे हर्ष, विषाद, दुःख, आश्चर्य आदि भाव व्यक्त किए जाएँ वहाँ विस्मयादिबोधक(!) चिह्न का प्रयोग किया जाता है।इसे पदों के बाद और वाक्य के बाद भी लगाते है। जैसे- वाह! अच्छा गाते हो!, कितना स्वच्छ पानी है!
७) उद्धरण चिह्न(“ ”) - यह चिह्न दो प्रकार का होता है- इकहरा(‘ ’) और दुहरा(“ ”) । किसी व्यक्ति के नाम, उसके कथन या किसी अवतरण अथवा उद्धहरण को महत्व प्रदान करने की से उक्त चिह्न का प्रयोग किया जाता है। हाँ, इतना अवश्य है कि किसी नाम का लेखन में प्रयोग करने के लिए इकहरे(‘ ’) चिह्न का प्रयोग तथा कथन का अवतरण हेतु दुहरे(“ ”