राज्य संख्या
उत्तर प्रदेश। 31
महाराष्ट्र। 19
तमिल नाडु। 18
बिहार। 16
पश्चिम बंगाल। 16
कर्नाटक। 12
आंध्र प्रदेश। 11
मध्य प्रदेश। 11
गुजरात। 11
उड़ीसा। 10
राजस्थान। 10
केरल। 9
पंजाब। 7
असम। 7
तेलंगाना। 7
झारखंड। 6
छत्तीसगढ़। 5
हरियाणा। 5
जम्मू कश्मीर। 4
हिमाचल प्रदेश। 3
उत्तराखंड। 3
नागालैंड। 1
मिजोरम। 1
मेघालय। 1
मणिपुर। 1
त्रिपुरा। 1
सिक्किम। 1
अरुणाचल प्रदेश। 1
गोवा। 1
संघीय क्षेत्र (केंद्र शासित प्रदेश)
दिल्ली। 3
पुदुचेरी। 1
नोट: चंडीगढ़, लक्षद्वीप, दादर व नगर हवेली, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दमन और दीव में
0 राज्यसभा की सीटें आरक्षित हैं इन प्रदेशों में राज्यसभा में प्रतिनिधित्व नहीं है।
* राज्यसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 30 वर्ष है।
* राज्य सभा के सदस्यों की अधिक से अधिक संख्या 250 (ढाई सौ) हो सकती है। यह संविधान के अनुच्छेद 80 में दी गई है।
* वर्तमान में राज्यसभा की सीटों की संख्या 245 हैं। इनमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। ये ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा या सहकारिता के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या अनुभव हो। बाकी 233 सदस्य संघ की इकाइयों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
* राज्यसभा एक स्थाई सदन है जो कभी भंग नहीं होती।
* इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
* इसके एक तिहाई सदस्य प्रति 2 वर्ष बाद सेवा -निवृत्त हो जाते हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 83(1) में दिया गया है।
ध्यान रहे!
* राज्यसभा का सभापति एवं उपसभापति
(अनुच्छेद 89):
1. भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होगा।
2. राज्यसभा यथाशीघ्र, अपने किसी सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी और जब जब उपसभापति का पद रिक्त होगा तब तब राज्यसभा किसी अन्य सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी।
उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना (अनुच्छेद 90):
(A) उपसभापति यदि राज्यसभा का सदस्य नहीं रहता है तो अपना पद रिक्त कर देगा; (B) सभापति को संबोधित त्यागपत्र द्वारा वह अपना पद त्याग सकेगा; (C) राज्यसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा परंतु इस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की सूचना उसे कम से कम 14 दिन पहले देनी होगी।
याद रहे? * जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का संकल्पप विचाराधीन हो, तो वह पीठासीन नहीं होगा। (अनुच्छेद 92)
* मंत्रीपरिषद् राज्यसभा के प्रति उत्तरदायी नहीं होती है।
* संविधान के अनुच्छेद 249 के अनुसार यदि राज्यसभा उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित कर यह घोषित करती कि राज्य सूची में उल्लिखित कोई विषय राष्ट्रीय महत्व का है तो संसद उस विषय पर अस्थायी कानून का निर्माण कर सकती है। ऐसा प्रस्ताव 1 वर्ष से अधिक प्रभावी नहीं रहता है लेकिन यदि राज्यसभा चाहे तो हर बार इसे 1 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
* केवल राज्यसभा को राज्य सभा में उपस्थित तथा मतदान देने वाले सदस्यों के कम -से -कम दो तिहाई सदस्यों के बहुमत से अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन का अधिकार है। यह बात संविधान के अनुच्छेद 312 में लिखित है।
* धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा को केवल सिफारिशें करने का अधिकार है, जिसे मानने के लिए लोकसभा बाध्य नहीं है। इसके लिए राज्य सभा को 14 दिन का समय मिलता है। यदि इस समय में विधेयक वापस नहीं होता है तो पारित समझा जाता है। राज्यसभा धन विधेयक को न अस्वीकार कर करती है और ना ही उसमें कोई संशोधन कर सकती है।
* राज्यपति वर्ष में कम से कम दो बार राज्य सभा का आयोजन का अधिवेशन आहूत करता है।
राज्यसभा की 1 सत्र की अंतिम बैठक तथा अगले सत्र की बैठक के लिए नियत तिथि के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
ध्यान रहे?
* राज्यसभा का पहली बार गठन 3 अप्रैल, 1952 ईस्वी को किया गया था। इसकी पहली बैठक 13 मई 1952 को हुई थी।
* राज्यसभा के प्रथम उपसभापति श्री एस. वी.कृष्णामूर्ति राव थे।
* राज्यसभा के सदस्य जो प्रधानमंत्री बने।
इंदिरा गांधी। 1966 - 67
एच. डी. देवगौड़ा। 1996 - 97
आई. के. गुजराल। 1997 - 98
मनमोहन सिंह। 2004 ....।
*संघीय संसद -भारत की संसद राष्ट्रपति, राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनती है।